Environmental education previous year paper 2020

Environmental education previous year paper 2020

नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर आपको हमारी पोस्ट में मिलेंगे हमसे जुड़ें रहें तथा अन्य पेपर के हल हेतु हमे comment करें।

PREVIOUS YEAR QUESTIONS PAPER OF ENVIRONMENTAL EDUCATION 👇

प्रश्न 👇

Question 1. पर्यावरणीय शिक्षा (environmental education)का अर्थ एवं महत्व लिखिए।
Question 2 . पर्यावरणीय शिक्षा के पांच उद्देश्य लिखिए ।
Question 3 . जैव मंडल और जैव विविधता में अंतर बताइए।
Question 4 . ग्रीनहाउस गैसों के नाम लिखकर । ग्रीनहाउस प्रभाव को बताइए ।
Question 5 . जल संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1977 , की जल प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
Question 6 . ओजोन परत चरण के कारण क्या है ?
Question 7 . पर्यावरणीय शिक्षण में इको क्लब की भूमिका स्पष्ट कीजिए ।
Question 8 . चिपको आंदोलन की व्याख्या कीजिए ।
Question 9 . पश्चिमी घाट आंदोलन की व्याख्या कीजिए।
Question 10 . “बौद्धिक मिलन” से आप क्या समझते हैं । किन्ही पांच बौद्धिक मिलन गतिविधियों के उदाहरण दीजिए ।
Question 11 . मृदा अपरदन और वनोन्मूलन पर टिप्पणी लिखिए ।
Question 12 . पर्यावरण के शिक्षिका के तौर पर आप किस प्रकार पाठ्य सहगामीक्रियाओं का आयोजन करेंगे ।
Question 13 . प्रभावी बुद्धि मंथन (ब्रेन स्टोर्मिंग) की संकल्पना क्या है ? पर्यावरणीय शिक्षा में इसका महत्त्व समझाइए ।
Question 14 . पर्यावरण संरक्षण में कार्यक्रम मेनका गांधी के योगदान को स्पष्ट कीजिए ।

Question 1: पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ एवं महत्व लिखिए

पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ है लोगों को पर्यावरण और उसकी समस्याओं के बारे में जागरूक करना, समझाना और उनमें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और संरक्षण की भावना विकसित करना। यह शिक्षा बच्चों, युवाओं और वयस्कों को पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक ज्ञान, दृष्टिकोण और कौशल प्रदान करती है।

पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व इस प्रकार है:

  1. जागरूकता बढ़ाना: यह शिक्षा पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करती है, जिससे लोग समझते हैं कि उनकी दैनिक गतिविधियाँ पर्यावरण को कैसे प्रभावित करती हैं।
  2. समाधान विकसित करना: यह शिक्षा लोगों को पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए नवीन और टिकाऊ उपायों को विकसित करने में सक्षम बनाती है।
  3. सतत विकास: यह सतत विकास की दिशा में काम करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, जिससे हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर सकते हैं।
  4. नीति निर्माण में योगदान: यह शिक्षा नीति निर्माताओं और आम जनता को पर्यावरणीय नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है।
  5. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: यह लोगों को प्राकृतिक संसाधनों के महत्व और उनके संरक्षण के तरीकों के बारे में सिखाती है, जिससे वे अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकते हैं और पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं।

Question 2: पर्यावरणीय शिक्षा के पांच उद्देश्य लिखिए

  1. जागरूकता: पर्यावरणीय समस्याओं और उनके प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना, ताकि वे इन समस्याओं को पहचान सकें और समझ सकें।
  2. ज्ञान: पर्यावरणीय प्रक्रियाओं, समस्याओं और समाधानों के बारे में आवश्यक ज्ञान प्रदान करना, जिससे लोग सूचित निर्णय ले सकें।
  3. दृष्टिकोण: पर्यावरण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और संवेदनशीलता विकसित करना, ताकि लोग पर्यावरणीय संरक्षण के लिए प्रेरित हों।
  4. कौशल: पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक व्यावहारिक कौशल और तकनीकों का विकास करना।
  5. भागीदारी: पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए लोगों को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना, ताकि वे सामुदायिक और वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर सकें।

Question 3: जैव मंडल और जैव विविधता में अंतर बताइए

जैव मंडल:
जैव मंडल (बायोस्फीयर) पृथ्वी का वह हिस्सा है जिसमें जीवन मौजूद है, जिसमें भूमि, जल, और वायुमंडल शामिल हैं। यह सभी जीवित प्राणियों और उनके पारिस्थितिक तंत्रों को शामिल करता है। जैव मंडल में सभी जीवों की पारस्परिक क्रियाएं और उनके पर्यावरण के साथ संबंध महत्वपूर्ण होते हैं।

जैव विविधता:
जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) जीवन के विभिन्न रूपों की विविधता को संदर्भित करती है। इसमें प्रजातियों की विविधता, आनुवंशिक विविधता, और पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता शामिल है। जैव विविधता जीवन की जटिलता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

अंतर:

  1. परिभाषा: जैव मंडल पृथ्वी के उस हिस्से को कहते हैं जहां जीवन संभव है, जबकि जैव विविधता जीवन के विभिन्न रूपों की विविधता को संदर्भित करती है।
  2. प्रकृति: जैव मंडल एक भौगोलिक और भौतिक इकाई है, जबकि जैव विविधता एक जीववैज्ञानिक और पारिस्थितिक अवधारणा है।
  3. संरचना: जैव मंडल में सभी पारिस्थितिक तंत्र शामिल होते हैं, जबकि जैव विविधता प्रजातियों, आनुवंशिक सामग्री, और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता पर केंद्रित होती है।

Question 4: ग्रीनहाउस गैसों के नाम लिखकर ग्रीनहाउस प्रभाव को बताइए

ग्रीनहाउस गैसें:

  1. कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
  2. मीथेन (CH₄)
  3. नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O)
  4. हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)
  5. पेरफ्लोरोकार्बन (PFCs)
  6. सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF₆)
  7. ट्राईफ्लोरोमिथेन (CHF₃)

ग्रीनहाउस प्रभाव:
ग्रीनहाउस प्रभाव वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा ग्रीनहाउस गैसें (जैसे कि CO₂, CH₄) पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को फंसाकर धरती की सतह को गर्म करती हैं। सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर पड़ती हैं और ऊर्जा का एक हिस्सा वापस अंतरिक्ष में विकिरित हो जाता है। ग्रीनहाउस गैसें इस विकिरित ऊर्जा को अवशोषित करती हैं और इसे पुनः पृथ्वी की ओर विकिरित करती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। यह प्रभाव प्राकृतिक रूप से आवश्यक है ताकि पृथ्वी पर जीवन संभव हो, लेकिन मानव गतिविधियों (जैसे कि जीवाश्म ईंधन का जलना) के कारण ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

Question 5: जल संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1977, की जल प्रदूषण नियंत्रण में भूमिका स्पष्ट कीजिए

1977 का जल संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम भारत में जल प्रदूषण की समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कानून है। इसका उद्देश्य जल संसाधनों की गुणवत्ता बनाए रखना और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना है। इस अधिनियम की प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. प्रदूषण की निगरानी: अधिनियम के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना की गई, जो जल निकायों की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं और प्रदूषण के स्तर को मापते हैं।
  2. प्रदूषकों की पहचान: यह अधिनियम प्रदूषकों की पहचान करने और उनके स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।
  3. उद्योगों के लिए मानक: अधिनियम के तहत उद्योगों के लिए प्रदूषण के मानक और नियम निर्धारित किए गए हैं, जिससे वे अपने अपशिष्ट जल का उपचार कर सकें और इसे सुरक्षित रूप से निपटान कर सकें।
  4. दंड और प्रवर्तन: इस अधिनियम में जल प्रदूषण के लिए कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान है, जो प्रदूषकों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  5. जन जागरूकता: अधिनियम के तहत सरकार और संबंधित एजेंसियाँ जनता को जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूक करती हैं, जिससे सामुदायिक भागीदारी बढ़ती है।

Question 6: ओजोन परत क्षरण के कारण क्या हैं?

ओजोन परत पृथ्वी की सतह को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है। इसके क्षरण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs): ये रसायन, जो रेफ्रिजरेंट्स, एरोसोल स्प्रे, और सॉल्वैंट्स में उपयोग होते हैं, ओजोन परत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। UV किरणों के संपर्क में आने पर CFCs टूटकर क्लोरीन परमाणुओं को छोड़ते हैं, जो ओजोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं।
  2. हलोजन गैसें: हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), और ब्रोमोफ्लोरोकार्बन (BFCs) भी ओजोन परत को क्षति पहुंचाते हैं।
  3. मिथाइल ब्रोमाइड: इस कीटनाशक का उपयोग कृषि में व्यापक रूप से होता है, और यह भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।
  4. नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O): यह गैस, जो कृषि, उद्योग, और परिवहन से उत्सर्जित होती है, भी ओजोन परत के क्षरण में योगदान करती है।
  5. परमाणु परीक्षण: ऊँची ऊँचाई पर किए गए परमाणु परीक्षण भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

Question 7: पर्यावरणीय शिक्षण में इको क्लब की भूमिका स्पष्ट कीजिए

इको क्लब पर्यावरणीय शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये क्लब छात्रों और समुदाय के सदस्यों को पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक बनाने और उन्हें सक्रिय पर्यावरणीय संरक्षण गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इको क्लब की प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. जागरूकता बढ़ाना: इको क्लब पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे कि कार्यशालाएँ, सेमिनार, और प्रदर्शनी, जिससे छात्र और समुदाय के सदस्य पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति जागरूक होते हैं।
  2. प्रायोगिक शिक्षण: इको क्लब के माध्यम से छात्र प्रायोगिक शिक्षण के अनुभव प्राप्त करते हैं, जैसे कि वृक्षारोपण, कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण, और ऊर्जा संरक्षण के लिए विभिन्न परियोजनाओं में भाग लेते हैं।
  3. पर्यावरणीय परियोजनाएँ: इको क्लब विभिन्न पर्यावरणीय परियोजनाओं का संचालन करते हैं, जैसे कि स्कूल और स्थानीय समुदायों में सफाई अभियान, रीसाइक्लिंग प्रोग्राम, और हरित क्षेत्रों का विकास।
  4. संवेदनशीलता और नैतिकता: इको क्लब छात्रों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और नैतिक जिम्मेदारी विकसित करते हैं, जिससे वे अपने दैनिक जीवन में पर्यावरणीय संरक्षण के उपायों को अपनाते हैं।
  5. समुदाय सहभागिता: इको क्लब समुदाय के सदस्यों को भी पर्यावरणीय गतिविधियों में शामिल करते हैं, जिससे सामुदायिक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की पहल को बढ़ावा मिलता है।

Question 8: चिपको आंदोलन की व्याख्या कीजिए

चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के हिमालयी क्षेत्र में शुरू हुआ एक पर्यावरणीय आंदोलन है, जिसका उद्देश्य वनों की कटाई को रोकना और पर्यावरण की सुरक्षा करना था। इस आंदोलन का नाम ‘चिपको’ (जिसका अर्थ है ‘गले लगाना’) इसीलिए पड़ा क्योंकि आंदोलनकारियों ने पेड़ों से गले लगाकर उन्हें कटने से बचाने की कोशिश की।

चिपको आंदोलन की प्रमुख विशेषताएँ और घटनाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. शुरुआत: 1973 में, गांव की महिलाओं ने ठेकेदारों द्वारा पेड़ों की कटाई का विरोध किया और पेड़ों से चिपककर उन्हें कटने से बचाया। इस घटना ने पूरे भारत में पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा दिया।
  2. नेतृत्व: सुंदरलाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट, और गौरा देवी जैसे प्रमुख पर्यावरणविदों और स्थानीय नेताओं ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया।
  3. महिलाओं की भूमिका: इस आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिन्होंने अपने गांवों की पर्यावरणीय स्थिति को सुधारने और वनों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प दिखाया।
  4. विचारधारा: चिपको आंदोलन ने वनों के संरक्षण की महत्ता को रेखांकित किया और स्थानीय संसाधनों के सतत उपयोग के महत्व पर जोर दिया।
  5. प्रभाव: इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, भारतीय सरकार ने वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया और वन संरक्षण कानूनों को सख्त किया। यह आंदोलन पर्यावरणीय न्याय और स्थिरता के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया।

Question 9: पश्चिमी घाट आंदोलन की व्याख्या कीजिए

पश्चिमी घाट आंदोलन एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय आंदोलन है जो भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए चलाया गया। पश्चिमी घाट एक अद्वितीय और समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।

  1. उद्देश्य: इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य पश्चिमी घाट के वन्यजीवों, जैव विविधता, और स्थानीय समुदायों के संरक्षण के लिए विकास परियोजनाओं को नियंत्रित करना और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना था।
  2. प्रमुख मुद्दे: क्षेत्र में खनन, बांध निर्माण, और औद्योगिक गतिविधियों के कारण पर्यावरणीय क्षति, जैव विविधता की हानि, और स्थानीय समुदायों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव जैसे मुद्दे आंदोलन का केंद्र थे।
  3. सक्रियता: स्थानीय समुदायों, पर्यावरणविदों, और संगठनों ने मिलकर प्रदर्शनों, जन जागरूकता अभियानों, और कानूनी कार्यवाहियों के माध्यम से पश्चिमी घाट की सुरक्षा के लिए आवाज उठाई।
  4. सरकारी प्रतिक्रिया: सरकार ने पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (Gadgil समिति) और कस्तूरीरंगन समिति का गठन किया, जिन्होंने क्षेत्र की पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए अनुशंसाएँ दीं।
  5. प्रभाव: आंदोलन के परिणामस्वरूप, कई विकास परियोजनाओं को रोका गया और क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रबंधन में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए गए।

Question 10: “बौद्धिक मिलन” से आप क्या समझते हैं। किन्ही पांच बौद्धिक मिलन गतिविधियों के उदाहरण दीजिए

बौद्धिक मिलन का अर्थ है विचारों और ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों या समूहों का एक साथ आना। यह गतिविधि रचनात्मक समाधान खोजने, ज्ञान बढ़ाने और समस्याओं का समाधान करने में सहायक होती है।

बौद्धिक मिलन गतिविधियों के उदाहरण:

  1. ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र: समूह के सदस्य खुलकर विचार साझा करते हैं और बिना किसी आलोचना के नए और रचनात्मक समाधान खोजते हैं।
  2. कार्यशालाएँ: विशेष विषयों पर केंद्रित कार्यशालाएँ, जहां विशेषज्ञ और प्रतिभागी मिलकर ज्ञान साझा करते हैं और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
  3. संपोषणीय चर्चाएँ: खुली चर्चाएँ जहां विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों का आदान-प्रदान होता है, जिससे समस्याओं के समाधान में मदद मिलती है।
  4. संवाद गोष्ठियाँ: विशेषज्ञों और छात्रों के बीच संवाद, जिसमें ज्ञान का आदान-प्रदान और नवीन विचारों का विकास होता है।
  5. मंथन बैठकें: उद्योग, अकादमिक और सरकारी प्रतिनिधियों के बीच बैठकें, जहां नीतियों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए विचार-विमर्श होता है।

Question 11: मृदा अपरदन और वनोन्मूलन पर टिप्पणी लिखिए

मृदा अपरदन:
मृदा अपरदन वह प्रक्रिया है जिसमें मिट्टी की ऊपरी परत का क्षरण होता है, जो जल, हवा, और मानव गतिविधियों के कारण होता है। यह कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है और पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ता है। मृदा अपरदन के कारण भूक्षरण, बाढ़, और मरुस्थलीकरण जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इसका प्रमुख कारण वनस्पति आवरण की कमी, असंतुलित कृषि पद्धतियाँ, और निर्माण कार्य हैं।

वनोन्मूलन:
वनोन्मूलन का अर्थ है वनों का विनाश या हटाना, जिससे जैव विविधता की हानि, पर्यावरणीय असंतुलन, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। वनों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा मिलता है। वनोन्मूलन के कारण वन्य जीवों के आवास नष्ट होते हैं, जिससे प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता है। इसके प्रमुख कारण कृषि विस्तार, लकड़ी की कटाई, और शहरीकरण हैं।

Question 12: पर्यावरण के शिक्षिका के तौर पर आप किस प्रकार पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करेंगे

पर्यावरण के शिक्षिका के तौर पर, पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

  1. वृक्षारोपण अभियान: छात्रों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना और उनके देखभाल के महत्व को समझाना।
  2. प्रकृति यात्रा: छात्रों को वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, और प्राकृतिक स्थलों की यात्रा पर ले जाना, जिससे वे प्रकृति को नजदीक से देख सकें और समझ सकें।
  3. स्वच्छता अभियान: स्कूल और स्थानीय समुदायों में सफाई अभियान चलाना, जिससे छात्रों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की भावना विकसित हो।
  4. रीसाइक्लिंग प्रोग्राम: छात्रों को रीसाइक्लिंग के महत्व के बारे में सिखाना और उन्हें रीसाइक्लिंग गतिविधियों में शामिल करना।
  5. पर्यावरण परियोजनाएँ: विभिन्न पर्यावरणीय परियोजनाओं का आयोजन, जैसे कि जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, और कचरा प्रबंधन, जिसमें छात्र सक्रिय रूप से भाग ले सकें।

Question 13: प्रभावी बुद्धि मंथन (ब्रेन स्टॉर्मिंग) की संकल्पना क्या है? पर्यावरणीय शिक्षा में इसका महत्त्व समझाइए

बुद्धि मंथन (ब्रेन स्टॉर्मिंग):
बुद्धि मंथन एक रचनात्मक समस्या समाधान तकनीक है जिसमें समूह के सदस्य खुलकर और बिना किसी आलोचना के विचार साझा करते हैं। इसका उद्देश्य अधिकतम संख्या में नए और अभिनव विचार उत्पन्न करना है। इस प्रक्रिया में किसी भी विचार को गलत या अयोग्य नहीं माना जाता, जिससे सभी सदस्य स्वतंत्र रूप से अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं।

पर्यावरणीय शिक्षा में बुद्धि मंथन का महत्व:

  1. रचनात्मकता को बढ़ावा: बुद्धि मंथन छात्रों में रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है, जिससे वे पर्यावरणीय समस्याओं के नए और अभिनव समाधान विकसित कर सकते हैं।
  2. सक्रिय सहभागिता: यह प्रक्रिया छात्रों को सक्रिय रूप से भाग लेने और अपने विचार साझा करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे उनकी भागीदारी और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  3. समूह सहयोग: बुद्धि मंथन समूह सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे छात्र मिलकर समस्याओं का समाधान खोजते हैं और टीमवर्क के महत्व को समझते हैं।
  4. समस्याओं की गहरी समझ: यह प्रक्रिया छात्रों को पर्यावरणीय समस्याओं की गहरी समझ और उनके विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है।
  5. व्यावहारिक समाधान: बुद्धि मंथन के माध्यम से उत्पन्न विचारों को व्यावहारिक समाधानों में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय शिक्षा अधिक प्रभावी और परिणामकारी बनती है।

Question 14: पर्यावरण संरक्षण में कार्यक्रम मेनका गांधी के योगदान को स्पष्ट कीजिए

मेनका गांधी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और पशु अधिकारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  1. पशु अधिकारों की पैरवी: मेनका गांधी ने पशु अधिकारों के लिए आवाज उठाई और कई संगठनों के माध्यम से पशु क्रूरता के खिलाफ अभियान चलाए। उन्होंने पीपल फॉर एनीमल्स (PFA) नामक संगठन की स्थापना की, जो भारत में सबसे बड़े पशु अधिकार संगठनों में से एक है।
  2. कानूनी सुधार: उन्होंने भारतीय पशु संरक्षण कानूनों में सुधार के लिए कई प्रयास किए और पशु क्रूरता को रोकने के लिए सख्त कानूनों की वकालत की।
  3. पर्यावरण जागरूकता: मेनका गांधी ने पर्यावरणीय शिक्षा और जागरूकता के लिए कई अभियान चलाए, जिससे लोग पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सकें।
  4. हरित पहल: उन्होंने हरित पहल को प्रोत्साहित किया, जिसमें वृक्षारोपण, जैव विविधता संरक्षण, और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा दिया गया।
  5. नीति निर्माण: एक सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में, मेनका गांधी ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए कई नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन किया और उन्हें लागू करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मेनका गांधी का योगदान पर्यावरण संरक्षण और पशु अधिकारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय है, जिससे न केवल पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ी है, बल्कि व्यावहारिक संरक्षण उपायों को भी प्रोत्साहन मिला है।

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