लेव सिमनोविच वाइगोत्सकी (1896 – 1934) सोवियत मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त दिया । उनका मानना था कि सामाजिक संपर्क विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बच्चों के विकास में भाषा, संस्कृति और सामाजिक अतःक्रिया का महत्व अद्वितीय है।
वाइगोत्सकी के सिद्धांत के अनुसार, शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह छात्रों की समस्याओं को समझने में मदद करते हैं और उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं। उनके अनुसार, सामाजिक रचनावाद भी एक महत्वपूर्ण अधिगम का सिद्धांत है, जिससे बच्चे सामाजिक अतःक्रिया के दौरान अपनी समाज-संस्कृति से जुड़ कर भाषाई नियमों को आत्मसात् करते हैं । और सामाजिक संपर्क के दौरान ही s व्यवहार और बातचीत के तरीके सीखते हैं, और भावों और विचारों को आसानी से प्रस्तुत करते हैं।
वाइगोत्सकी के सिद्धांत के महत्वपूर्ण बिंदु
- विकास सतत होता है ।
- अनुवांशिकता को महत्व नहीं दिया गया।
- सामाजिक रचनावाद के प्रतिपादक ।
- विकास में भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है ।
- सामूहिक एकालाप (3 से 5 वर्ष) बच्चों के विकास का अहम हिस्सा है ।
सिद्धांत को निम्न तीन बिंदुओं पर समझा जा सकता है
1. सामाजिक सांस्कृतिक परिपेक्ष
वाइगोत्सकी ने बताया कि अधिगम वार्तालाप से ही संभव है । उन्होंने बताया कि वयस्कों के साथ की गई सामाजिक अंत:क्रिया किस तरह से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में मदद करती है । अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि प्राय बालक बारी-बारी से किसी क्रिया को इस ढंग से करते हैं जिसमें शिक्षक या अन्य वयस्क बच्चों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करते हैं ।
2. समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD)
बालक द्वारा बिना किसी की सहायता से किया गया कार्य तथा इस कार्य को किसी व्यक्ति के सहायता से और अधिक संभावित स्तर तक कार्य को बढ़ाने के लिए किया गया प्रयास , इन दोनों के मध्य जो अंतर होता है उसे समीपस्थ विकास क्षेत्र कहा जाता है इसे निम्न फॉर्मूला से समझा जा सकता है –
Y – X = ZPD
Y – जो बच्चे ने समाज से ज्ञान लिया । (MKO)
X – जो बच्चे को पहले से ज्ञान है ।
वायगोत्स्की के अनुसार, माता-पिता, देखभाल करने वाले, सहकर्मी और बड़े पैमाने पर संस्कृति उच्च-क्रम के कार्यों को विकसित करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। उनका मानना था कि बच्चे अधिक जानकार अन्यों (MKO) की संगति में सर्वश्रेष्ठ सीखते हैं जो माता-पिता, शिक्षक या सहपाठी हो सकते हैं। MKO की संगति में बच्चे नई जानकारी को समझते हैं और इसे अपनाते हैं, जिससे उनका विकास मार्गदर्शन में सहारा लेने में मदद मिलती है।
3. भाषा का महत्व
वाइगोत्सकी ने भाषा के तीन रूप बताएं –
*सामाजिक भाषण
3 वर्ष से पूर्व
बच्चा आसपास के सामाजिक वातावरण से अनुकरण के द्वारा सीखना है या बोलता है ।
*निजी भाषण
3 से 5 वर्ष
बच्चा कल्पना कर स्वयं से ही बात करता है । वाइगोत्सकी ने निजी भाषण को संज्ञानात्मक विकास मे महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
*आंतरिक भाषण
5 वर्ष से अधिक
बच्चा अमूर्त चिंतन करने में सक्षम हो जाता है तथा अपनी कल्पना या चिंतन को परिस्थिति अनुसार उपयोग करता है ।
उक्त लिखित तीनों बिंदुओं के आधार पर बच्चा समाज व संस्कृति में रहकर अपने संज्ञानात्मक विकास का अनुदेशन करता है ।
वाइगोत्सकी के सिद्धांत के शैक्षिक निहितार्थ
इस प्रकार वाइगोत्सकी ने सामाजिक रचनावाद के आधार पर अपने सिद्धांत की विस्तृत व्याख्या की तथा यह स्पष्ट किया कि संज्ञानात्मक विकास एक अंतर व्यक्तिक सामाजिक स्थिति में संपन्न होता है इसके माध्यम से बच्चों को उनके वास्तविक विकास का ज्ञान हो जाता है ।