BEd answer writing : BEd में आंसर कैसे लिखें ?

BEd answer writing

BEd answer writing : b.Ed में कैसे लिखें आंसर । नीचे दी गई tips university ranker से ली गईं हैं। जो आपको जरूर काम आयेगी कृपया ध्यान से पढ़े ।

B.Ed परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए सिर्फ कॉपी भरना काफी नहीं होता; आपको अपने उत्तरों को बेहतर और विशेष बनाने के लिए कुछ अलग तरीके अपनाने पड़ते हैं। यहाँ हम आपको उत्तर लेखन में मास्टरी प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दे रहे हैं:

B.Ed परीक्षा में उत्तर लेखन: टिप्स और तकनीक

बी.एड (Bachelor of Education) परीक्षा में प्रभावी उत्तर लेखन अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल आपके ज्ञान का परीक्षण करता है बल्कि आपके विचारों को संगठित और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता का भी आकलन करता है। निम्नलिखित टिप्स के माध्यम से आप अपने उत्तरों को आकर्षक और प्रभावी बना सकते हैं।

शॉर्ट आंसर (100-150 शब्द)

  1. शब्द सीमा का ध्यान रखें:
    • शॉर्ट आंसर में 100 से 150 शब्दों के मध्य उत्तर देना है। एक पेज सफिशिएंट है।
    • यदि आपकी कॉपी का साइज अलग है, तो शब्द सीमा का ध्यान रखें और पेज को इस आधार पर भरें।
  2. प्रश्न के अनुसार उत्तर दें:
    • जितना क्वेश्चन में पूछा गया है, केवल उतना ही आंसर दें। अनावश्यक जानकारी से बचें।
  3. संक्षिप्त और बिंदुओं में उत्तर:
    • पैराग्राफ लिखने से बचें। संक्षिप्त और स्पष्ट बिंदुओं में उत्तर देने की कोशिश करें।
    • यदि विशेषताएं पूछी गई हैं, तो केवल दो लाइनों में इंट्रोडक्शन दें और बिंदुओं में विशेषताएं लिखें।

उदाहरण:

प्रश्न: शिक्षा में लिंग भेदभाव के प्रभाव क्या हैं? (100-150 शब्द)

उत्तर:
शिक्षा में लिंग भेदभाव का प्रभाव गहरा और व्यापक है। यह लड़कियों की शैक्षणिक उपलब्धियों को सीमित करता है और उनके आत्मविश्वास को कम करता है।

  1. शैक्षणिक प्रदर्शन: लड़कियों का शैक्षणिक प्रदर्शन बाधित होता है।
  2. भविष्य के अवसर: उच्च शिक्षा और करियर में सीमित अवसर।
  3. आत्मविश्वास में कमी: आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में गिरावट।
  4. सामाजिक भूमिका: समाज में सीमित भूमिका और अवसर।

लॉन्ग आंसर (400-500 शब्द)

  1. डायग्राम और वेन डायग्राम का प्रयोग करें:
    • जितना हो सके, डायग्राम और वेन डायग्राम का प्रयोग करें। इससे समय भी बचेगा और उत्तर की स्पष्टता बढ़ेगी।
  2. शब्द सीमा और पेज संख्या:
    • यदि कॉपी मीडियम साइज की है, तो तीन से साढ़े तीन पेज लिखें।
    • यदि कॉपी छोटी या बड़ी है, तो शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए उत्तर लिखें।
  3. हेडिंग और सब-हेडिंग का प्रयोग करें:
    • अपने उत्तर को हेडिंग और सब-हेडिंग में डिवाइड करें। इससे उत्तर अधिक संगठित और स्पष्ट दिखेगा।
    • अधिक पैराग्राफ लिखने से बचें, क्योंकि इससे उत्तर लंबा और भ्रमित हो सकता है।

उदहारण

प्रश्न :पर्यावरण शिक्षा की संकल्पना, अर्थ, परिभाषा एवं क्षेत्र लिखिए

संकल्पना:
पर्यावरण शिक्षा एक ऐसी शैक्षिक प्रक्रिया है जो व्यक्तियों को उनके प्राकृतिक और मानव निर्मित पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना और स्थायी विकास के सिद्धांतों को समझना और लागू करना है।

अर्थ:
पर्यावरण शिक्षा से तात्पर्य उन शिक्षण-प्रक्रियाओं से है जिनके माध्यम से व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरण के संरक्षण, सुधार और स्थायित्व के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाया जाता है। यह शिक्षा पर्यावरण के साथ संतुलित जीवन शैली और स्थायी विकास को प्रोत्साहित करती है।

परिभाषा:
पर्यावरण शिक्षा की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

  1. युनेस्को (UNESCO): “पर्यावरण शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है जो लोगों को उनके पर्यावरण के बारे में जागरूक करती है और उन्हें अपने पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है।”
  2. युनेप (UNEP): “पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान, दृष्टिकोण, कौशल, और भागीदारी को बढ़ावा देना है ताकि व्यक्ति और समुदाय पर्यावरणीय समस्याओं को पहचान सकें और उनके समाधान के लिए कार्य कर सकें।”

क्षेत्र:
पर्यावरण शिक्षा के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:

  1. प्राकृतिक पर्यावरण: वन्यजीव, वन, जल निकाय, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
  2. मानव निर्मित पर्यावरण: शहरीकरण, औद्योगीकरण, और अन्य मानव क्रियाओं का पर्यावरण पर प्रभाव।
  3. पर्यावरणीय समस्याएँ: प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का नुकसान, और अन्य पर्यावरणीय मुद्दे।
  4. सतत विकास: संसाधनों का संतुलित और जिम्मेदार उपयोग, और सतत विकास के सिद्धांतों का पालन।
  5. पर्यावरणीय नीति और प्रबंधन: पर्यावरणीय नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन, और पर्यावरणीय प्रबंधन की रणनीतियाँ।

पर्यावरणीय शिक्षा के पांच उद्देश्य:

  1. जागरूकता बढ़ाना (Awareness): व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूक बनाना ताकि वे अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और सचेत हो सकें।
  2. ज्ञान का संवर्धन (Knowledge): पर्यावरणीय प्रक्रियाओं, समस्याओं और समाधान के बारे में व्यापक और सटीक जानकारी प्रदान करना।
  3. दृष्टिकोण का विकास (Attitude Development): सकारात्मक पर्यावरणीय दृष्टिकोण और नैतिकता को बढ़ावा देना ताकि लोग पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और सम्मानजनक व्यवहार कर सकें।
  4. कौशल का विकास (Skill Development): पर्यावरणीय समस्याओं को पहचानने, विश्लेषण करने, और समाधान करने के लिए आवश्यक कौशल और क्षमताएँ विकसित करना।
  5. भागीदारी और कार्रवाई (Participation and Action): व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरणीय निर्णयों और क्रियाओं में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना और उन्हें सशक्त बनाना।

इन उद्देश्यों के माध्यम से पर्यावरण शिक्षा लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनाती है, जिससे वे अपने पर्यावरण को संरक्षित करने और सुधारने के लिए सक्रिय रूप से योगदान कर सकें।

निष्कर्ष

बी.एड परीक्षा में उत्तर लेखन की तकनीक को समझना और सही तरीके से लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शॉर्ट आंसर में संक्षिप्त और बिंदुओं में उत्तर देने की कोशिश करें, जबकि लॉन्ग आंसर में हेडिंग, सब-हेडिंग, और डायग्राम का प्रयोग करें। निर्धारित शब्द सीमा का पालन करना न भूलें और समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। इन तकनीकों का पालन करके आप अपने उत्तरों को अधिक आकर्षक और प्रभावी बना सकते हैं, जिससे आपको उच्च अंक प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

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