शिक्षा मनोविज्ञान

इस लेख में आज हम पढ़ने वाले हैं –

  • शिक्षा मनोविज्ञान
  • शिक्षा मनोविज्ञान क्या है ?
  • शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ
  • शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा
  • शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति
  • शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान क्या है

शिक्षा मनोविज्ञान का प्रारंभ प्लेटों के समय से माना जाता है । इसके पश्चात रूसो ने व्यक्ति के भिन्नता के आधार पर अध्ययन को आधार प्रदान किया । वैज्ञानिक तरीके से शिक्षा को मनोविज्ञान में अध्ययन करने का श्रेय अमेरिका के थार्नडाइक हाल जुड़ को जाता है इसीलिए एडवर्ड ली थार्नडाइक को शिक्षा मनोविज्ञान का जनक माना जाता है ।  इसी क्षेत्र में आगे  “प्रिंसिपल साइकोलॉजी” नामक पुस्तक मनोविज्ञान की प्रथम पुस्तक प्रकाशित हुई , जिसे अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने 1895 में लिखा। इस पुस्तक में उन्होंने मानव विचार और व्यवहार के अद्भुत अध्ययन के प्रस्तुतिकरण किया, जिससे मनोविज्ञान का मार्गदर्शन मिला।

भारतीय साहित्य वेद पुराण उपनिषद में भी मनोविज्ञान का अंश मिलता है। शिक्षा मनोविज्ञान लोगों के सीखने के तरीकों के माध्यम से उनकी समझ, सोचने की क्षमता, और मनोबल को समझने का प्रयास करता है। यह व्यक्तिगत अंतर का भी अध्ययन करता है, जैसे कि व्यक्ति की प्राथमिकता, रुचि, और शैक्षिक इतिहास। इसमें शिक्षण विधियों को समृद्धि देने के लिए उन्नति करने का प्रयास शामिल है, ताकि शिक्षार्थी समझायी गई जानकारी को सही और प्रभावी ढंग से समझ सकें।

शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ

साइकोलॉजी का अर्थ होता है –

Psycho = आत्मा
Logos = अध्ययन

शिक्षा मनोविज्ञान का इंग्लिश रूपांतरण है educational psychology हैं ।
शिक्षा मनोविज्ञान’ दो शब्दों के योग से बना है – ‘शिक्षा’ और ‘मनोविज्ञान’,

अस्तु कहा जा सकता है शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है – “शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान”। यह विज्ञान मनोवैज्ञानिक तथ्यों के अध्ययन की प्रमुख विधियों को शिक्षा में लागू करने की कला है।

शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान अर्थ समय अनुसार परिवर्तन

  • प्रारंभ में आत्मा का विज्ञान
  • 17वीं शताब्दी में मस्तिष्क का विज्ञान
  • 19वीं शताब्दी में चेतना का विज्ञान
  • अब व्यवहार का विज्ञान

इस तरह कहा जा सकता है कि वर्तमान में शिक्षा मनोविज्ञान एक विशेष शाखा है जो मनोवैज्ञानिक तथ्यों का उपयोग करके शिक्षा की प्रक्रिया को समझने का प्रयास करती है। और व्यवहार संशोधन के लिए अनुदेशन का कार्य करती है ।

विभिन्न वैज्ञानिकों के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषा

शिक्षा मनोविज्ञान, शैक्षणिक परिस्थितियों में मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।

स्किनर

शैक्षिक मनोविज्ञान मानव प्रतिक्रियाओं के शिक्षण और सीखने को प्रभावित वैज्ञानिक दृष्टि से व्युत्पन्न सिद्धांतों के अनुप्रयोग का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐलिस क्रो

शिक्षा मनोविज्ञान का तात्पर्य व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा के समुचित विकास से है।

गाँधी जी

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति

शिक्षा मनोविज्ञान अपनी खोजो में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करता है । कक्षा या शिक्षण से संबंधित किसी भी समस्या का समाधान निरीक्षण , परीक्षण और प्रयोग के आधार पर विश्वसनीय परिणाम निकालकर किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति को निम्न बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है –

1. शिक्षा मनोविज्ञान वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग होता हैं आज शिक्षा की समस्याओं का समाधान ढूंढने में प्रयोगात्मक विधि का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाता है। इन प्रयोगों में यथासंभव परिस्थितियों पर नियंत्रण किया जाता है और आवश्यकता अनुसार यंत्रों का प्रयोग सूक्ष्म अवलोकन और विश्लेषण के लिए किया जाता है।

2. शिक्षा मनोविज्ञान तथ्यात्मक है शैक्षिक परिस्थितियों में तथ्य निरीक्षकों के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।

3.शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांत और नियम सार्वभौमिक है अर्थात यह सिद्धांत और नियम सभी देश और काल में खरे उतरते हैं जो नियम थार्नडाइक ने अमेरिका में स्थापित किए थे वे भारत की शिक्षा की परिस्थितियों में भी ठीक उसी प्रकार लागू होते हैं जिस प्रकार अमेरिका में लागू होते हैं ।

4. शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांत एवं नियम प्रमाणिक होते हैं क्योंकि इन्हें प्रशिक्षण और पुनः परीक्षण के बाद स्थापित किया जाता है प्रयोग को दोहराकर उनकी प्रामाणिकता की भी जांच कभी भी की जा सकती है ।

5. शिक्षा मनोविज्ञान में कार्य और करण के संबंधों की व्याख्या होती है जैसे सीखने की क्रिया को प्रभावित करने वाली दशाएं , बालक का संवेदनात्मक क्रिया ,सामाजिक विकास, किशोरावस्था की समस्याएं आदि ।

6 .शिक्षा मनोविज्ञान प्रकथन( prediction ) भी करता है। शिक्षा मनोवैज्ञानिकों के पास व्यक्ति की योग्यताओं क्षमताओं कुशलता और गुणों का मापन एवं मूल्यांकन करने के लिए अनेक विश्वसनीय साधन उपलब्ध होते हैं ।जिनकी सहायता से उसके आगामी व्यवहार ,कार्य क्षमता, योग्यताओं आदि के बारे में सही-सही प्रकथन किया जा सकता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर शिक्षा मनोविज्ञान निम्न क्षेत्र में व्यापक हैं –

  • 1. विकास एवं वंशानुक्रम के अध्ययन अर्थात शैशवावस्था –बाल्यावस्था– किशोरावस्था उपरोक्त तीनों अवस्थाओं के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व संवेगात्मक अध्ययन में शिक्षा मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त तीनों चरणों के विकास की प्रक्रिया व विकास के वातावरण तथा उसे प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन भी शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत किया जाता है ।
  • 2. अधिगम प्रक्रिया में शिक्षा मनोविज्ञान के आधार पर अधिगम के सिद्धांतों का अध्ययन किया जा सकता है उसकी विधियों में संश्लेषण व विश्लेषण की प्रक्रिया भी शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से अधिक सुगम बनाई जा सकती है।
  • 3. शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का अध्ययन इसका निर्देशन व संशोधन भी सम्मिलित होता है।
  • 4 पाठ्यक्रम निर्माण में शिक्षा मनोविज्ञान का उपयोग किया जा सकता है जिसे वह पाठ्यक्रम को बालक के स्तर अनुकूल निर्मित करने में सहायता प्रदान कर सके ।
  • 5. व्यक्तिक भिन्नता के आधार पर अधिगम शिक्षा मनोविज्ञान के माध्यम से व्यवस्थित किया जा सकता है इसमें व्यक्तिक भिन्नता के आधार पर उपयुक्त शिक्षण विधियां का अनुमान लगाना सरल हो जाता है ।
  • 6. शिक्षा मनोविज्ञान का उपयोग विभिन्न प्रकार के शोध व अनुसंधान में किया जा सकता है जिसका लक्ष्य शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकता है

इस रूप में, शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाएँ प्रदान करता है और शिक्षण प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसका अध्ययन करना हमें शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाएँ प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे हम समृद्ध और सामाजिक शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।

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