कविता साहित्य की एक विशेष विधा है जिसमें कवि अपने भावनाओं, विचारों और अनुभवों को कलात्मक रूप में व्यक्त करता है। यह कला हमें मन की गहराईयों में जाने की अनुमति देती है, जिन विचारों को हम सामान्यत: व्यक्त नहीं कर पाते।
कविता कवि की आत्म-अभिव्यक्ति होती है, जिसमें उसकी व्यथाएँ, आकांक्षाएँ और अपेक्षाएँ व्यक्त होती हैं। इसमें भावना और कल्पना की प्रमुखता होती है, और वह रस से भरी होती है, जिसमें कवि की भावनाएँ संवेदनशीलता से प्रकट होती हैं।कविता संवेदनाओं, विचारों, और भावनाओं को सुंदरता से व्यक्त करने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। यह साहित्यिक रूप हमें अन्य लेखनी कलाओं से अलग विशेषता देता है।
कविता के विशेष गुण
- रूपरेखा (Structure): कविता में विशेष रूपरेखा होती है, जैसे कि छंद, रचना, और रंग-छायांकन।
- भावना (Emotion): कविता में भावना का प्रमुख स्थान होता है। यह श्रेष्ठता के साथ व्यक्त की जाती है, जिससे पाठकों में संवेदना उत्तेजित होती है।
- रस (Sentiment): कविता रस से भरी होती है। विभिन्न भावनाओं और विचारों को सही रस से प्रस्तुत करने की कला कविता में प्रकट होती है।
- छंद (Meter): कविता में छंद का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिससे शब्दों की संरचना और तालमेल बनती है।
कविता के प्रकार (Types of Poetry)
कविता कई प्रकार की होती है, जैसे कि गीत, गज़ल, दोहा, बाल कविता, और भूलोक कविता, जो विभिन्न विचारों और पारंपरओं का परिचायक होती हैं।
कविता कवि की अद्वितीयता को प्रकट करने का एक साधन है और यह साहित्य की अत्यद्भुत एक रूप है जो पाठकों को भावनात्मक और साहसी अनुभव प्रदान करता है।
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता
क़दम मिला कर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।।