बाल विकास के प्रमुख सिद्धांत

Principles of child development

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1. पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

  • प्रतिपादक: जीन पियाजे (Jean Piaget)
  • प्रयोग: बच्चों के संज्ञानात्मक (बौद्धिक) विकास पर
  • मुख्य बिंदु:
    • संज्ञानात्मक विकास चार चरणों में होता है:
      1. संवेदी-गति अवस्था (0-2 वर्ष) – इंद्रियों और गतिविधियों से सीखना
      2. पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (2-7 वर्ष) – प्रतीकात्मक सोच का विकास
      3. ठोस संक्रियात्मक अवस्था (7-11 वर्ष) – तार्किक सोच का विकास
      4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11+ वर्ष) – अमूर्त सोच और तर्कशीलता
    • सीखने की प्रक्रिया “स्कीमा” के माध्यम से होती है।
    • अनुकूलन (Adaptation) में आसक्ति (Assimilation) और समायोजन (Accommodation) की प्रक्रिया शामिल होती है।

2. विगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक विकास सिद्धांत

  • प्रतिपादक: लेव विगोत्स्की (Lev Vygotsky)
  • प्रयोग: बच्चों के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर
  • मुख्य बिंदु:
    • मानसिक विकास समाज और संस्कृति पर निर्भर करता है।
    • नजदीकी विकास क्षेत्र (ZPD – Zone of Proximal Development) – वह क्षेत्र जिसमें बच्चा सही मार्गदर्शन से बेहतर सीख सकता है।
    • संकेतक सहायता (Scaffolding): शिक्षक या माता-पिता बच्चे की सीखने में सहायता करते हैं।
    • भाषा और संवाद संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

3. ब्रूनर का खोजी अधिगम सिद्धांत (Discovery Learning Theory)

  • प्रतिपादक: जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner)
  • प्रयोग: संज्ञानात्मक विकास पर
  • मुख्य बिंदु:
    • बच्चे स्वयं अन्वेषण करके सीखते हैं।
    • सीखने की तीन अवस्थाएँ होती हैं:
      1. क्रियात्मक (Enactive) – 0-2 वर्ष: बच्चे क्रियाओं से सीखते हैं।
      2. प्रतिनिधित्वात्मक (Iconic) – 2-7 वर्ष: चित्रों और छवियों के माध्यम से सीखते हैं।
      3. प्रतीकात्मक (Symbolic) – 7+ वर्ष: भाषा और प्रतीकों से सीखते हैं।
    • शिक्षण को छात्रों के अनुभवों पर आधारित होना चाहिए।

4. एरिक एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास सिद्धांत

  • प्रतिपादक: एरिक एरिक्सन (Erik Erikson)
  • प्रयोग: सामाजिक और भावनात्मक विकास पर
  • मुख्य बिंदु:
    • विकास आठ चरणों में होता है, जिसमें प्रत्येक चरण में व्यक्ति एक मनोवैज्ञानिक संघर्ष का सामना करता है:
      1. विश्वास बनाम अविश्वास (0-1 वर्ष)
      2. स्वायत्तता बनाम संकोच (1-3 वर्ष)
      3. पहल बनाम अपराधभाव (3-6 वर्ष)
      4. उद्योग बनाम हीनता (6-12 वर्ष)
      5. पहचान बनाम भ्रम (12-18 वर्ष)
      6. निकटता बनाम एकाकीपन (युवा वयस्कता)
      7. सृजनशीलता बनाम ठहराव (मध्यम आयु)
      8. समग्रता बनाम निराशा (बुजुर्गावस्था)

5. थॉर्नडाइक का प्रयत्न और त्रुटि सिद्धांत

  • प्रतिपादक: एडवर्ड एल. थॉर्नडाइक (Edward L. Thorndike)
  • प्रयोग: बिल्लियों पर प्रयोग
  • मुख्य बिंदु:
    • सीखना प्रयत्न और त्रुटि (Trial and Error) के माध्यम से होता है।
    • तीन प्रमुख नियम:
      1. प्रभाव का नियम (Law of Effect)
      2. अभ्यास का नियम (Law of Exercise)
      3. तत्परता का नियम (Law of Readiness)

6. स्किनर का ऑपरेटेंट कंडीशनिंग सिद्धांत

  • प्रतिपादक: बी. एफ. स्किनर (B. F. Skinner)
  • प्रयोग: चूहों और कबूतरों पर
  • मुख्य बिंदु:
    • सीखना प्रबलन (Reinforcement) के माध्यम से होता है।
    • सकारात्मक और नकारात्मक प्रबलन सीखने में सहायता करते हैं।

7. कोहल्बर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत

  • प्रतिपादक: लॉरेंस कोहल्बर्ग (Lawrence Kohlberg)
  • प्रयोग: नैतिक दुविधाओं पर
  • मुख्य बिंदु:
    • नैतिक विकास के तीन स्तर होते हैं:
      1. पूर्व-परंपरागत स्तर (Pre-Conventional Level)
      2. परंपरागत स्तर (Conventional Level)
      3. उच्च-परंपरागत स्तर (Post-Conventional Level)

8. मास्लो का आवश्यकताओं का पदानुक्रम सिद्धांत

  • प्रतिपादक: अब्राहम मास्लो (Abraham Maslow)
  • प्रयोग: मानव आवश्यकताओं पर
  • मुख्य बिंदु:
    • पाँच स्तर की आवश्यकताएँ:
      1. शारीरिक आवश्यकताएँ
      2. सुरक्षा आवश्यकताएँ
      3. सामाजिक आवश्यकताएँ
      4. आत्म-सम्मान आवश्यकताएँ
      5. स्व-प्राप्ति आवश्यकताएँ

9. जॉन लॉक का टैबुला रसा सिद्धांत

  • प्रतिपादक: जॉन लॉक (John Locke)
  • प्रयोग: बच्चों के सीखने के व्यवहार पर
  • मुख्य बिंदु:
    • टैबुला रसा (Tabula Rasa) का अर्थ – कोरी स्लेट।
    • बच्चा जन्म के समय कोरा होता है, उसके अनुभव ही उसे सीखने में मदद करते हैं।
    • सीखना बाहरी वातावरण से प्रभावित होता है।

10. गार्डनर का बहु-बुद्धि सिद्धांत

  • प्रतिपादक: हावर्ड गार्डनर (Howard Gardner)
  • मुख्य बिंदु:
    • बुद्धि केवल एक नहीं, बल्कि कई प्रकार की होती है:
      1. भाषायी बुद्धि
      2. तार्किक-गणितीय बुद्धि
      3. दृश्य-स्थानिक बुद्धि
      4. संगीतमय बुद्धि
      5. शारीरिक-गतिज बुद्धि
      6. अंतर्वैयक्तिक बुद्धि
      7. अंतःवैयक्तिक बुद्धि
      8. प्राकृतिक बुद्धि

परीक्षा उपयोगी तथ्य:

  • पियाजे, विगोत्स्की, ब्रूनर संज्ञानात्मक विकास से जुड़े हैं।
  • स्किनर, थॉर्नडाइक व्यवहारवाद से जुड़े हैं।
  • कोहल्बर्ग, एरिक्सन नैतिक और मनोसामाजिक विकास से जुड़े हैं।
  • मास्लो, गार्डनर व्यक्तिगत विकास से जुड़े हैं।

बाल विकास की बुनियादी अवधारणा का विकास

  1. प्राचीन काल (Philosophical Era)
    • बाल विकास की अवधारणा दर्शनशास्त्र से जुड़ी थी।
    • प्लेटो और अरस्तू ने बाल मनोविज्ञान पर विचार किए।
    • प्लेटो – जन्मजात ज्ञान का सिद्धांत (Innate Knowledge)।
    • अरस्तू – अनुभव आधारित सीखने पर बल।
  2. 17वीं शताब्दी (Empiricism और Rationalism)
    • जॉन लॉक – “टैबुला रसा” (Tabula Rasa) का सिद्धांत – बच्चा जन्म के समय कोरी स्लेट होता है।
    • जीन जैक्स रूसो – “स्वाभाविक विकास” (Natural Development) का विचार प्रस्तुत किया।
  3. 19वीं शताब्दी (Psychology as a Science)
    • मनोविज्ञान को स्वतंत्र विज्ञान के रूप में पहचान मिली।
    • 1879 – विल्हेम वुंट (Wilhelm Wundt) ने पहला मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की।
    • मनोविज्ञान को “चेतना का विज्ञान” माना गया।
  4. 20वीं शताब्दी की शुरुआत (Behaviorism का उदय)
    • जॉन वॉटसन – व्यवहारवाद (Behaviorism) का प्रतिपादन।
    • सीखना और विकास बाहरी वातावरण पर निर्भर करता है।
    • बाल विकास को अनुकूलन की प्रक्रिया के रूप में देखा गया।
  5. मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Psychoanalytic Approach)
    • सिग्मंड फ्रायड – बाल्यावस्था के अनुभव व व्यक्तित्व विकास का गहरा संबंध।
    • मनोविश्लेषण के अनुसार, व्यक्तित्व के तीन घटक होते हैं – इड (Id), ईगो (Ego), सुपर ईगो (Superego)
  6. संज्ञानात्मक विकास दृष्टिकोण (Cognitive Development Theory)
    • 1920 – जीन पियाजे ने बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को चार चरणों में बांटा।
    • मानसिक विकास एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है।
  7. सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण (Sociocultural Theory)
    • 1930 – लेव विगोत्स्की ने सामाजिक बातचीत और भाषा को महत्वपूर्ण कारक बताया।
    • “नजदीकी विकास क्षेत्र” (ZPD) का सिद्धांत दिया।
  8. आधुनिक बाल विकास अध्ययन (Modern Child Development Studies)
    • 20वीं शताब्दी में जैविक, संज्ञानात्मक, सामाजिक व पर्यावरणीय कारकों का समावेश।
    • बाल विकास को एक समग्र (Holistic) दृष्टिकोण से देखा जाने लगा।

परीक्षा उपयोगी तथ्य:

1879 – विल्हेम वुंट ने पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की।
जॉन लॉक – “टैबुला रसा” का सिद्धांत (बच्चा कोरी स्लेट की तरह होता है)।
फ्रायड – मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत दिया, “इड, ईगो, सुपरेगो” की अवधारणा।
पियाजे – संज्ञानात्मक विकास के चार चरण बताए।
विगोत्स्की – सामाजिक-सांस्कृतिक विकास पर बल दिया।
वाटसन – व्यवहारवाद का प्रतिपादन किया।

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