सीगमंड फ्रॉयड (Sigmund Freud) एक प्रमुख आईन्स्टाइन मनोविज्ञानी थे जिन्होंने मानव मनसिकता की गहराईयों में अध्ययन किया और प्साइकोएनालिसिस नामक एक मनोविज्ञानिक सिद्धांत विकसित किया।
उनके सिद्धांतों के कुछ मुख्य बिंदु निम्न जानकारी मे बताए गए हैं –
सीगमंड फ्रॉयड का मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
मनोवैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार सीगमंड फ्रॉयड ने मन या आत्मा को तीन भागों में बांटा
- इड (Id)
- एगो (Ego)
- सुपर-एगो (Superego)।
ऊदहारण
सोचिए, आपकी इड (Id) वह भाग है जो आपको एक बड़े चॉकलेट केक के लिए ललकाएगा, चाहे वह स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो या न हो। एगो (Ego) वह हिस्सा है जो आपको बताता है कि कैसे आप उस केक को प्राप्त कर सकते हैं बिना ज्यादा समस्याएँ खड़ी करें, जैसे कि एक थोड़ी सी केक का टुकड़ा खाना। सुपर-एगो (Superego) वह हिस्सा है जो आपको बताता है कि केक खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, और यह आपके आत्म-नियंत्रण और नैतिकता की परीक्षण करता है।
**इड (Id)**
id व्यक्ति के अंतर्मन में सबसे पहला और प्राकृतिक हिस्सा है। यह अवस्था में आत्म-संतोष की प्रतिक्रियाएँ करता है, अनिति को दूर करने की इच्छा को प्रकट करता है, और तत्परता को प्रमुख बाल-विकार के रूप में उत्पन्न करता है। id अनुपचारिक, असंवेदनशील, और आत्म-केंद्रित होता है और संवेदनशीलता या नैतिकता की पर्वाह नहीं करता।जैसे, एक बच्चा जो खाने की इच्छा का अनुभव करता है।
**ईगो (Ego)**
ईगो व्यक्ति की वास्तविकता का हिस्सा है। यह विचारशील, यथार्थवादी, और संतुलित होता है। ईगो विचार करता है कि कैसे id की इच्छाओं को संवेदनशीलता और नैतिकता की पर्वाह किए बिना संतुष्ट करें, जिससे सामाजिक नैतिकता के नियमों का पालन किया जा सके।उदाहरण के रूप में, अगर आप भूखे हैं, तो ईगो आपको बताएगा कि कैसे id की इच्छा को संवेदनशीलता के बिना संतुष्ट करना संभव है।
**सुपर-एगो (Superego)**
सुपर-एगो व्यक्ति की नैतिक और सामाजिक अदृश्य शिक्षा का प्रतीक है। यह अंतर्मन में बनाया गया है, जिसमें व्यक्ति के सामाजिक और मानसिक विकास के दौरान स्वीकृति की गई नैतिकता और मूल्यों का संचय होता है। सुपर-एगो विचारशील, नैतिक, और आत्म-संवेदी होता है और यहाँ तक की व्यक्ति के अच्छे या बुरे कार्यों की जानकारी का भी पालन करता है।उदाहरण के रूप में, अगर आप किसी की चीरता नहीं करना चाहते, तो सुपर-एगो आपको बताएगा कि यह गलत है और आपको इसे नहीं करना चाहिए।
**सिगमंड फ्रायड के मनोलैंगिक सिद्धांत**
सिगमंड फ्रायड, मनोविज्ञान के प्रमुख सिद्धांतकार, ने मनुष्य के मनोलैंगिक विकास को पाँच मुख्य चरणों में विभाजित किया। ये चरण व्यक्ति के विकास में लैंगिकता और समाज के साथ उसकी संबंधितता को प्रकट करते हैं।
- **1. मुखावस्था (जन्म से 1 वर्ष):**इस अवस्था में, बच्चे की प्रमुख आकांक्षा मुख से संबंधित होती है। वह मुख से क्रियाओं में आनंद लेता है जैसे कि चुसना और काटना।
- **2. गुदावस्था (1 से 2 वर्ष):**इस चरण में, बच्चे की ध्यान व आकांक्षा गुदा से जुड़ी होती है। यहाँ बच्चा मल-मूत्र नियंत्रित करने और उन्हें रोकने में आनंद महसूस करता है।
- **3. लिंग प्रधानावस्था (2 से 5 वर्ष):**इस चरण में, लिबिडो की ऊर्जा लिंग से संबंधित होती है। यहाँ लड़कों में ‘मातृ प्रेम’ और लड़कियों में ‘पितृ प्रेम’ की उत्पत्ति होती है, जिसका समाधान ‘ओइडिपस कॉम्प्लेक्स’ और ‘इलेक्ट्रा कॉम्प्लेक्स’ के माध्यम से होता है।
- **4. अव्यक्तावस्था (6 से 12 वर्ष):**इस चरण में, लिबिडो का क्षेत्र अदृश्य हो जाता है, लेकिन बच्चे सामाजिक कार्यों और खेल-कूद के माध्यम से अपनी ऊर्जा को संतुष्ट करते हैं।
- **5. जननेंद्रियावस्था (12 वर्ष के बाद):**इस चरण में, हार्मोन्स की वृद्धि होने लगती है, जिसके कारण व्यक्ति का लैंगिक प्रवृत्ति और आकर्षण विपरीत लिंग के प्रति बढ़ता है।
ये चरण व्यक्ति के मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसकी व्यक्तिगतिकरण में सहायता पहुंचाते हैं। फ्रायड के इस सिद्धांत ने मनोविज्ञान में विशेष स्थान प्राप्त किया है और मानव विकास की समझ में मदद करता है।
सीगमंड फ्रॉयड का नर्सिसिज्म का सिद्धांत
स्वमोह या आत्म प्रेम को सिगमंड फ्रायड ने “नर्सिसिज्म” के नाम से जाना जाता है। यह एक मनोविज्ञानिक सिद्धांत है जिसमें व्यक्ति अपने आप में इतने मोहित हो जाता है कि वह खुद को प्रेम करने लगता है। इस स्थिति में व्यक्ति अपने आप को सबसे महत्वपूर्ण मानता है और अपनी आत्मा में खो जाता है। यह सिद्धांत मानसिक स्वास्थ्य और संबंधों की गहराईयों में समझाने में मदद करता है।
सीगमंड फ्रॉयड का प्साइकोएनालिसिस का सिद्धांत
फ्रॉयड ने मनोविज्ञान में प्रमुख योगदान किया जब वह अर्थशास्त्र के उपन्यास रचना, स्वप्न विश्लेषण, और मनोवैज्ञानिक उपचार की विधि को प्रस्थापित करते हुए प्साइकोएनालिसिस की शाखा विकसित की।
फ्रॉयड के सिद्धांत बहुत गहरे और विस्तृत हैं जो मनोवैज्ञानिक अध्ययन के कई पहलुओं को शामिल करते हैं।